कच्ची जमीन

कच्ची जमीन

कच्ची जमीनजैसा मन है, कच्ची मिट्टी जैसा तन
जैसे चाहो ढल जायेगा, जो चाहोगे बन जाएगा।

कब मन बदले कब तन डोले कोई खबर नहीं है
बचपन के इस मन में कितनी जिज्ञासा भरी पड़ी है।
जीवन को समझने की जल्दी इन्हे बड़ी है
राह सही है या की नहीं है, समस्या यही खड़ी है।

हाथ पकड़ लो राह मोड दो, धारा अभी नई है
सच सिखलाओ, झूठ से इनका दामन मैला अभी नहीं है
संस्कार हो ऐसा, निर्मल गंगा कैलाश से अभी बही है
सही गलत की समझ कराओ, नींव अभी पड़ी है।

देश प्रेम की जोत जगाओ, आशा यहीं खड़ी है
वीर बनाओ, धीर बनाओ, खूब पढ़ाओ ज्ञान की इनमें लौ सुलगाओ
मान बढ़ाए सम्मान दिलाए, जग में रौशन नाम कराए
कच्ची जमीन जैसा मन है, कच्ची मिट्टी जैसा तन 
जैसे चाहो ढल जायेगा, जो चाहोगे बन जाएगा।।

आभार - नवीन पहल - २३.०२.२०२२ 🌹🙏👍😀

# daini


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9 Comments

Arman

02-Mar-2022 05:47 PM

Bahut khoob

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Pamela

02-Mar-2022 09:50 AM

बहुत सुंदर

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Marium

01-Mar-2022 05:09 PM

बहुत सुंदर रचना

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